The Basic Principles Of chudail a jao
The Basic Principles Of chudail a jao
Blog Article
बच्चा- तो फिर मैं अपने मम्मी-पापा को आपके घर कब भेजू?
औरत: जी, वह बदरीनाथ गए हैं, दीया बुझाने।
बुढ़िया (शर्माते हुए बोली): धत। वो तो मैं जवानी में थी….! अब नहीं रही।
कैदी – हुजूर जौहरी की दुकान खोलने के लिए तो सिर्फ एक हथौडे की जरुरत होती है।
शर्मिन्दा लड़की ने कागज़ खोलकर देखा तो
पर कुत्ते के बच्चों को बताना भी तो ज़रूरी था।
कर्मचारी खुशी-खुशी वो घोडा अपने घर ले गया।
और क्या आप जानते है कि जब वह आपकी उम्र के थे तो भारतके प्रधानमंत्री थे।
”घर का मालिक बोला – “ओह … मैं तो सचमुच भूल गया था …
“सब फ़टाफ़ट अन्दर आ जाओ यहाँ बाबा जी का प्रवचन चल रहा है।”
संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा = पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ.????
पत्निः मैं पूरा घर संभालती हूँ किचन संभालती हूँ,
मां जी- अरे कम्बख्त..! तू तो हमेशा गलत ही सोचती है…
hentai हू, जो सही जवाब देगा उसे चाँकलेट दुंगी।
Report this page